बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
'तीसरी कसम' कहानी की भाषा हिन्दुस्तानी है। यानी ऐसी खड़ी बोली (हिन्दी) जिसमें अन्य भाषाओं के शब्दों का उपयोग खुलकर किया गया है। साथ ही उस पर आँचलिकता का गहरा प्रभाव है। उदाहरणतः गुदगुदी, कंट्रोल, पोखता थुक्की -मुक्की, भनभनाकर, अदावट, सग्गर्ड गाड़ी आदि। आँचलिक प्रभाव वाले शब्द हैं- "खैनी, तम्बाकू, टीशन। भाषा अत्यनत सजीव एवं चलती हुई है। मुहावरों के प्रयोगों ने उसको जीवतता प्रदान की है तथा छायावादी शैली पर प्रयुक्त विशेषण विषर्पय ने भाषा को मारमिक एवं प्रभावशाली बना दिया है। यथा दरोगा, पुलिस का मन न बदला भला।
रहकर चम्पा का फूल खिल जाता है। चाँद का टुकड़ा समा गया है। तथा मुस्कुराहट में खुशबू है। सारी देह सिरसिरा रही है। आज हीरामन मन को खलास कर लेगा तथा आनन्द के आँसू कोई रोक नहीं मानते वे हीरामन को लगा कि किसी ने आसमान से धरती पर गिरा दिया है। हीरामन का स्वाभिमान इस मुहावरे में मुखर है। जिन्दगी भर बोली ठोली कौन सुने तथा उसी के साथ इस कहानी का उपयोग देशी मुर्गी विलायती चाल समस्त वातावरण को आँखों के सामने प्रस्तुत कर देती है।
शैली तीसरी कसम की शैली मनोवैज्ञानिक एवं चित्रात्मक है। अपने आप को पुलिस के फन्डे में देखकर हीरामन जो कुछ सोचता है। लेखक ने हीरामन के मन में पैठकर किया है। यथा न उसके पहले न जाने कितने दिन तक बिना चारा-पानी के सरकारी फाटक में पड़े रहेंगे। पुनः नीलाम हो जायेंगे भैया और भौजी को वह मुँह नहीं दिखा सकेगा, नीलाम की बोली कानों में गूँज उठी, एक दो तीन'
हीराबाई के दर्शन द्वारा हीरामन की क्या दशा हो जाती है। इसके इस जीवन शैली में देखिए ...." हीरामन के मन में कोई अनजानी रागिनी बज उठी सम्पूर्ण शरीर सिर- सिरा रही है
...... [
नाक की नकछवि उसके मन को बेध डालती है। हीरामन की कलेजे की किरच लेखक दो शब्दों से निकालकर रख देता है। नकछवि में नग देखकर सिहर उठा लहू की बूँद।
हीराबाई को लक्ष्य करके 'हीरामन का मन संचारी भावों से भर जाता है। वे भाव कई तरह के हैं अनेक रंग वाले हैं। रंगों की संख्या सात होती है। इसी का लक्ष्य करके लेखक ने लिखा है कि 'हीरामन का मन पल-पल में बदल रहा है। मन में सतरंगा छाता धीरे-धीरे खुल रहा है। उसका महसूस है कि उसकी गाड़ी में देवकुल की औरत सवार है।"
'हीरामन का मुँह लाल हो गया है। इस एक ही वाक्य में लेखक ने हीरामन के काम भावना एवं लज्जा को व्यक्त कर दिया है।
"गाड़ी चढ़ाई पर पहुँची तो हीरामन की ढीली उँगलियाँ फिर तन गई।' इस वाक्य को पढ़कर कौन ऐसा पाठक होगा जो यह न समझ जाय कि बैलों को ठीक तरह हाँकने की कला में हीरामन पारंगत है।
लाल मोहर की हँसी इस वाक्य में आँखों के सामने उतर जाती है। "लाल मोहर की बत्तीसी चौराहे की रोशनी में झिलमिला उठी।"
लहसनवाँ मौज में है। लेकिन वह 'हीराबाई की टहल सेवा करता है। इस कोटि के व्यक्तियों के संतोष का क्या रूप होता है। वह इस एक वाक्य में बोल रहा है। हीराबाई की साड़ी धोने के बाद कठौते का पानी अतर गुलाब हो जाता है। उसमे अपनी गमछी डुबोकर छोड़ देता है। लो सूँघोगे।
भाषा-शैली पात्रों के अनुकूल है। पात्र के स्तर के साथ भाषा का रूप बदल जाता है। पात्रों की बातचीत सर्वथा नाटकीय संवादों की शैली पर है। छोटे-छोटे एवं चुभते हुए शब्दों का प्रयोग किया गया है। एक उदाहरण देखिए
"भैया तुम्हारा नाम क्या है?"
"मेरा नाम...... नाम मेरा है हीरामन "
"तब तो मीत कहूँगी। भैया नहीं। मेरा नाम भी हीरा है।
तथा "इतनी चीजें कहाँ से ले आये?"
"इस गाँव का दही नामी है।' चाह तो फारबिसगंज जाका ही पाइएगा।' "तुम भी पत्तल बिछाओ क्यों? तुम नहीं खाओगे तो समेटकर रख लो अपनी झोली में मैं भी नहीं खाऊँगी।
"हस्स ! अच्छी बात है। आप पा लीजिए पहले।
"पहले पीछे क्या? तुम भी बैठो।"
इस बात पर लेखक की टिप्पणी मन को झकझोर देती है "हीरामन का जी जुड़ गया।"
तत्पश्चात् रेल के चले जाने पर हीरामन देखता रह जाता है। कहानी का अंतिम शब्द पढ़कर लेखक सोचता रह जाता है "मारे गए गुलफाम ठीक ही है कम्पनी की औरत का क्या भरोसा? हीरामन की तीसरी कसम कितनी सार्थक है "वह कम्पनी की औरत की कहानी....."
देशकाल का चित्रण - लेखक ने देशकाल की वास्तविकता की भूमि पर किया है। प्रकृति और समय दोनों ही सजीव हो उठे हैं। पत्थर नदी के किनारे, धनखेतों से फूले हुए धान के की पवनियाँ गन्ध आती है। पर्वयावन के दिन गाँव में ऐसी ही सुगन्ध फैली रहती है। और इसी के साथ देखिए हीराबाई के सौन्दर्य की मादकता का सामंजस्य" उसकी गाड़ी में फिर चम्पा का एक फूल खिला।"
उस फूल की गंध दो कोस दूर तक जाती है। उस फूल को खमीरा, तम्बाकू में डालकर पीते हैं।
गाँव के बच्चों ने पर्दे वाली गाड़ी देखी और तालियाँ बजा-बजाकर रटी हुई पंक्तिया दोहराते हैं -
लाली-लाली डोलियों में
लाली रे दुल्हिनियाँ,
पान खाये.....।
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)